शिव शाबर मन्त्र को सिद्ध करने के बाद बड़ी से बड़ी समस्याओं से सरलता से मुक्ति मिल जाती है।
महाशिवरात्रि में तंत्राधिपति भगवान महाकाल की अनेक तांत्रिक मंत्रों का जप कर पूजा की जाती है। शिव जी के तंत्र मंत्रों में से एक ऐसा शिव मंत्र है जिसे शिव शाबर मन्त्र कहते हैं। तंत्र शास्त्र के अनुसार, इस मंत्र की साधना से भगवान महाकाल शीघ्र प्रसन्न होकर अपने भक्त को जीवन में सुख-सम्रद्धि, व्यवसाय में उन्नति, नौकरी में सफलता, कठिन रोगों से मुक्ति, घातक शत्रु से मुक्ति दिलाते है। जानें शिव शाबर मंत्र की साधना विधि।
कहा जाता है कि शिवजी के शाबर मंत्र स्वयं में सिद्ध होते हैं इसलिए इन्हें सिद्ध करने की ज्यादा आवश्यकता नहीं होती, लेकिन इनको चमत्कारी व शक्तिशाली बनाने के लिए नियमित जप करना आवश्यक होता है तब ही ये व्यक्ति की कामनाओं की पूर्ति कर पाते हैं। इस शिव शाबर मन्त्र को सिद्ध करने के बाद बड़ी से बड़ी समस्याओं से सरलता से मुक्ति मिल जाती है।
।। शिवजी का शाबर तांत्रिक मंत्र ।।
"आद अंत धरती, आद अंत परमात्मा
दोनो वीच बैठे शिवजी महात्मा, खोल घड़ा दे दडा
देखा शिवजी महाराज तेरे शब्द का तमाशा"
तांत्रिक शिव शाबर मंत्र की साधना विधि
भगवान शिव की आराधना करते समय जितना ध्यान पूजा विधि-विधान आदि पर दिया जाता है, उससे अधिक यदि भगवान शिव के प्रति समर्पण भाव व द्रढ़ विश्वास होना अनिवार्य होता है।
शिव शाबर मंत्र जप के लाभ
इस मंत्र का जप पूर्ण विश्वास और द्रढ़ संकल्प के साथ लगातार 41 दिनों तक शिव शाबर तांत्रिक साधना करें। साधना काल में प्रतिदिन जप पूर्ण होने के बाद शिवलिंग का जल या गाय के दुध से अभिषेक जरूर करें। इस शिव साधना से बड़ी से बड़ी मुश्किल भी दूर हो जाती है, घर में सुख-सम्रद्धि, व्यवसाय में उन्नति व नौकरी में आ रही अड़चन, रोग से मुक्ति, वैवाहिक जीवन में कलह और शत्रु से छुटकारा ये सभी कार्य सिद्ध स्वतः ही सिद्ध होने लगते हैं।
1- वैसे तो साल में किसी भी सोमवार के दिन से इस साधना को शुरू कर सकते हैं लेकिन सावन मास में इस साधना को करने से इसके ज्यादा चमत्कारिक परिणाम सामने आते हैं।
2- घर के पूजा स्थल में एक कोरा लाल कपडा बिछाकर भगवान शिव की फोटो या मूर्ति स्थापित कर धूप-दीप जलाकार तांबे के लौटे में शुद्ध जल रखें।
3- अब श्री गणेश जी व अपने सदगुरु जी का ध्यान करते हुए सीधे हाथ में जल लेकर संकल्प लें।
4- संकल्प के बाद शिव शाबर मंत्र को पहले याद कर लें फिर जप 501 बार या 1100 बार करें।
5- या फिर लगातार सवा घंटे उक्त मंत्र का जप करें।
6- माला या बिना माला के दोनों ही प्रकार से इस मंत्र का जप कर सकते हैं। यदि माला से जप करें तो रुद्राक्ष की माला से ही जप करें।
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