हम पत्रकार आपस में अपनी छवि को धूमिल करने में व्यस्त हैं, हम पत्रकारों को बहुत कुछ सीखना है वकीलों एवं डॉक्टरों से ! 
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           पत्रकार चौथा स्तंभ कहलाता है यह चौथा स्तंभ बहुत कमजोर और जर्जर हो गया है , आए दिन पत्रकारों पर हमले और उन्हें बेवजह थानों में बुलाया जाता है ,और हमारे दूसरे पत्रकार साथी चुपचाप बैठे देखते रहते हैं , मैंने डॉक्टरों एवं वकीलों में एक बहुत अच्छी चीज देखी अगर किसी एक वकील के ऊपर कोई भी परेशानी आती है तो पूरे वकील एक हो जाते हैं और अगर ज्यादा मामला बढ़ता है तो वकील हड़ताल पर चले जाते हैं ,यह बात केवल उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश के वकील एक हो जाते हैं । वहीं दूसरी ओर अगर किसी जूनियर डॉक्टर या सीनियर डॉक्टर के साथ मरीज के परिजन  बदतमीजी करते हैं तो सब डॉक्टर एक होकर हड़ताल पर चले जाते हैं। 
              वकील और डॉक्टर जब हड़ताल पर जाते हैं  ,और एकजुट हो जाते हैं तो सरकार को भी हस्तक्षेप करके उनकी परेशानी को सुलझाने में आगे आना पड़ता है। 
         कुछ दिन पहले  शिकोहाबाद में नौ पत्रकारों को झूठा आवेदन देकर  तहसील प्रशासन ने फर्जी मुकदमा भिन्न-भिन्न धारा में लिखवा दिया। कितने शर्म की बात है, हम पत्रकारों के लिए वहीं दूसरी ओर कुछ पत्रकारों ने व्हाट्सएप एवं अखबारों में  उल्टी-सीधी खबरें डाल कर इन  पत्रकारों का मान सम्मान धूमिल करने की कोशिश की  पर कामयाब नहीं हो सके। 
         
हमारे उत्तर प्रदेश में अभी तक पत्रकार अधिनियम कानून लागू नहीं हो पाया है , दूसरे राज्यों में यह अधिनियम लागू हो चुका है अगर हमारे प्रदेश के सभी पत्रकार एक हो जाए तो यह कानून बनने में दो-चार दिन का समय ही लगेगा पर, हमारे पत्रकार साथी एक नहीं हो पाते।
 आप लोगों को एक कड़वा सच  बताता हूं , अगर कोई पत्रकार किसी अधिकारी के पास जाता है  पहले से उस अधिकारी के पास अगर  दूसरा पत्रकार  बैठा हो तो पत्रकार साथी एक दूसरों को देख कर नाक  मुंह बनाते हैं जब वह पत्रकार उठ कर चला जाता है तो फिर उस पत्रकार की बुराइयां उस अधिकारी के सामने शुरू हो जाती हैं , और यह अधिकारी  खूब मजे ले - ले  लेकर बुराइयां सुनते हैं  और मन ही मन में खुश होते हैं  और सोचते हैं की यह पत्रकार एक नहीं है। हमारे पत्रकार साथी दूसरे पत्रकारों के लिए अधिकारियों के सामने यह कहते हैं , यह पत्रकार तो फर्जी पत्रकार है , यह पत्रकार का एक छोटा सा साप्ताहिक अखबार निकालता है, भाइयों पत्रकार पत्रकार होता है कोई छोटा बड़ा पत्रकार नहीं होता अगर कोई साप्ताहिक अखबार या वेबसाइट का पत्रकार किसी अधिकारी के पास जाता है तो अधिकारी उसको कोई महत्व नहीं देते , मैं आपको एक बात बताना चाहूंगा बिहार में एक ऐसा समाचार पत्र है जो 15 दिन में एक बार निकलता है उस अखबार के जो संपादक है वह 15 दिन अखबार को हाथ से लिखता है , फिर उसकी फोटो कॉपी करवा कर, लोगों , मंत्रियों और अधिकारियों को बांटता है यह अखबार का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है । अखबार कोई छोटा बड़ा नहीं होता है ।
 दो पन्ने का अखबार हो या 48 पन्नों  का समाचार पत्र रंगीन हो या श्याम श्वेत समाचार पत्रों की लेखनी एवं खबरों पर ध्यान देना चाहिये उस के पन्नों पर नहीं ।
 जाग जाओ पत्रकारों एक हो जाओ पत्रकारों के हित में 1 दिन के लिए समाचार पत्र मत छापों फिर देखना सरकार भी पत्रकारों की मांगों को लेकर गंभीर होगी। 
रिपोर्ट
अंशुल श्रीवास्तव
प्रबंध सम्पादक
100 NEWS, लखनऊ
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