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कस्बा पाली की नगर पंचायत अध्यक्षा को पहली बार राजनीति के मैदान उतारा गया था, और भरी मतो जीताया भी गया ये सोचकर क़ी नगर की बेटी व बहन है। तो समाज का भला होगा
लेक़िन दांव कुछ  उल्टा हो गया दरअसल तीसारा साल चल रहा है
और लाखों रुपये भी आये विकास के लिऐ लेक़िन
विकास सिर्फ कागजों पर ही होकर रह गया है।

आपको बता दे कि महीने में 30 दिन होते है औऱ नगर पंचायत की ट्यूबेल मोटर प्रति दिन ही खराब रहती है और बार बार बदली जाती हैं
और फिर भी जनता बूँद बूँद पानी के लिये तरसती हैं।
पहली बार ये हाल है तो दूसरी बार चेयरमैन  बनी तो कस्बा पाली की
 जनता दर दर भटकेगी,
सरकार से तो करोड़ो रूपये आये विकास के लिये पर कहाँ गये किसी को नही पता ।

ना तो कोई सड़क बनी ना ही नाला और ना ही हाई मास्क लाईट
भी कई सालों से ख़राब पड़ी हैं लेक़िन अब आने वाले चुनाव में पाली कस्बे की अधिकांश  जनता ने अपना विचार  में बदलाव किया है । हम आपको बताते हैं कि पहला विचार की नगर पंचायत का  अध्यक्ष वही होगा जो 24 घण्टे नगर में उपस्थित रहे ।
       दूसरा विचार जो नगर की जनता को अपना परिवार माने ।
        तीसरा विचार जो  नगर की जनता को भूखा न सोने दे ।

हालांकि कोरोना महामारी
में अभी तक 2 चेहरे खुलकर
सामने आये है
जिन्होंने हर रोज ग़रीब व बेसहारा की मदद को अपना हाथ आगे बढ़ाया, राशन व कई जरूरत मन्द परिवार को खुलकर बाँटी है।


किन्तु  वर्तमान चेयरमैन ने अभी तक  किसी का भी हाल चाल तक नही लिया।
रिपोर्ट
विमलेश तिवारी
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