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लखनऊ
काम बंद कमाई बंद बढ़ गया फीस का बोझ, फीस जमा हो नही पाई, नए कोर्स का बोझ

कोरोना की लड़ाई से देश का प्रत्येक नागरिक लड़ रहा है लेकिन इस कोरोना काल मे हुए लाॅकडाउन के दौरान बंदी के समय की स्कूल फीस अचानक से बोझ बन गई है। हालांकि इस बोझ से बड़े आदमियो पर या यूँ कहूँ तो तन्ख्वाह पर काम करने वालो पर कोई खास असर नही दिखाई दे रहा क्योकि इस दौरान भी तन्ख्वाह मिलने के कारण उनकी दैनिक दिन चर्या सामान है लेकिन प्राइवेट जाॅब करने वाले या फुटकर धंधा करने वाले लोगो के लिए यह एक बहुत बड़ा संकट का समय दिख रहा है। लाॅकडाउन के दौरान फुटकर धंधा करने वाले वा प्राइवेट नौकरी करने वाले लोगो की कमाई एकदम बंद थी जिसके कारण वह इस दौरान तीन महीने की फीस को बोझ समझ रहे है। इस संकट की घड़ी मे अधिकतर जगहो पर प्राइवेट नौकरी करने वाले लोगो को तन्ख्वाह तक नही दी जा रही है और उसके बाद फीस जमा करना हो, घर का किराया देना, घर खर्च चलाना हो यह सब उतना आसान नही है जितना कि समझा जा रहा है। क्योकि तीन महीने की फीस और तुरन्त नए साल का कोर्स भी तैयार है। ऑनलाइन शिक्षा देने का दावा करने पर अभिभावको ने बताया कि नर्सरी केजी और कक्षा 1 व 2 को ऑनलाइन शिक्षा नही मिल पा रही है यह केवल फीस लेने का एक तरीका निकाला गया है जिससे यह दिखाकर आसानी से फीस वसूली जा सके।

ऑनलाइन शिक्षा पर सरकार को वास्तविक स्थिति से अवगत ना कराते हुए गुमराह करने की कोशिश लगातार की जा रही है जिसमें तमाम अभिभावक यह भी आरोप लगा रहे है कि बच्चे को क्लास ना ज्वाइन कराओ तो स्कूल से फोन आता है कि बस 5 मिनट के लिए क्लास ज्वाइन करा दीजिए बाद मे रिमूव हो जाइयेगा जिससे बच्चे की हाजिरी लग सके।

अब समझने वाली बात यह है कि बात पढ़ाई से नही मतलब नही है केवल हाजिरी लगाकर सरकार को आकड़े दिखाने से मतलब है कुछ भी हो इस चक्की मे पिसे का आम आदमी ही। क्योकि इस पढ़ाई मे इन्ड्रायड मोबाइल व हाई स्पीड डाटा की भी जरूरत होती है और वह भी अगर घर मे एक ही मोबाइल है तो शायद बच्चा पढ़ाई भी नही कर सकेगा। खैर कुछ भी हो धीरे धीरे मैसेज आ रहे है कि गरीब परिवार के बच्चो के घर बैठने का नम्बर आ गया और शायद यह एक साल के लिए घर बैठेंगे क्योकि स्थितियो को सामान्य करने मे थोड़ा समय तो जरूर लगेगा ---   
रिपोर्ट
अर्पित श्रीवास्तव
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