गंगा बैराज व शेखपुर से लिए गंगाजल के नमूनों की जांच में बेहतर परिणाम सामने आए हैं।
कानपुर, [विक्सन सिक्रोडिय़ा]। कानपुर में गंगा मइया को अविरल-निर्मल बनाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रयास रंग लाता दिखाई देने लगा है। हाल ही में गंगा बैराज से शेखुपुर तक लिये गंगा जल के सैंपल की जांच में शुभ संकेत दिखाई दिए हैं। प्रदूषण से राहत की संजीवनी मिलने पर गंगा मइया फिर से खिलखिला उठी हैं। घोंघा, झींगा और सीप की बढ़ी तादाद बता रही है कि गंगा जल निर्मल है और जल में घुलित ऑक्सीजन का लेवल भी खासा बढ़ गया है। जलीय जंतु बढऩे की रिपोर्ट सामने आने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अफसरों भी खास खुश हैं।
गंगा बैराज और शेखपुर से लिए गंगा जल के सैंपल
बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी डॉ. एसबी फ्रेंकलिन ने बताया कि गंगा बैराज (अप स्ट्रीम) और शेखपुर (डाउन स्ट्रीम) में गंगा जल के नमूनों की जांच की। इसमें एक फरवरी से लेकर अब तक के आंकड़ों के मुताबिक जाना गांव, ड्योढ़ी घाट व जाजमऊ पुल पर गंगा में घोंघा, सीप व झींगा का विचरण बढ़ा है। घुलित ऑक्सीजन (डीओ) की मात्रा बढऩे पर ही यह जलीय जंतु जीवित रहते हैं। साल 2014 में डीओ औसतन साढ़े छह मिलीग्राम प्रतिलीटर थी जो अब बढ़कर 11 मिलीग्राम प्रति लीटर के करीब पहुंच गई है। छह साल पहले रोगजनक बैक्टीरिया की मात्रा अधिकतम 99 हजार प्रति सौ मिली थी जो अब 35 हजार प्रति सौ मिली रह गई है।
पेयजल व जलीय जीवों के लिए पानी का मानक
पेयजल व जलीय जीवों के लिए पानी की शुद्धता के मानक तय हैं। इसमें डीओ 06 मिलीग्राम प्रति लीटर व उससे अधिक, टोटल डिजाल्व सालिड्स (टीडीएस) 500 मिलीग्राम प्रति लीटर व बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) 05 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम होना चाहिए। इसके अलावा अधिक पीएच वाला पानी अम्लीय माना जाता है। मानक के अनुसार इसकी मात्रा 6.5 से 8.5 के बीच होनी चाहिए।
किससे क्या है खतरा
डीओ कम व टीडीएस अधिक होने से जलीय जीवों को खतरा होता है। टीडीएस की अधिक मात्रा से जल पेट संबंधी बीमारियों का वाहक भी बनता है। बीओडी अधिक होने से पानी सडऩे लगता है।
प्रधानमंत्री ने शुरू किया नमामि गंगे प्रोजेक्ट
केंद्र में सरकार बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रदूषित हो चुकी पतित पावनी गंगा नदी को अविरल और निर्मल बनाने का संकल्प लेते हुए नमामि गंगे प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी। इसके तहत गंगा की सफाई से लेकर घाटों को जीर्णोद्धार कराया गया। इसी क्रम में शहर में 127 साल पुराने सीसामऊ नाला टेप कराकर हजारों गैलन सीवेज का प्रवाह गंगा नदी में रोका गया। यह उपलब्धि ऐतिहासिक रही।


कानपुर में नमामि गंगे प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री के निर्देश पर टेनरियों का दूषित जल का प्रवाह गंगा में बंद कराया गया। बीते दिसंबर माह नमामि गंगे के तहत आयोजित बैठक में आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंगा की निर्मलता और अविरल का जायजा लिया था। इसके साथ ही इतिहास बन चुके सीसामऊ नाले पर बने सेल्फी प्वाइंट को भी देखा था।
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