नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी के खिलाफ लगभग दो महीने से प्रदर्शन चल रहा है. इस प्रदर्शन को लेकर दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई की. इन याचिकाओं में दिल्ली को नोएडा से जोड़ने वाली अहम सड़क के बंद हो जाने से लाखों लोगों को हो रही दिक्कत का सवाल उठाया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर कहा है कि लोगों को इससे परेशानी हो रही है. लोगों को बात करके समझाएं. कोर्ट ने कहा कि विरोध प्रदर्शन का अधिकार है लेकिन सड़क रोकने को कैसे जारी रहने दें.
सार्वजनिक सड़क को बंद करना उचित नहीं- सुप्रीम कोर्ट
पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, "विरोध प्रदर्शन के चलते आम लोगों को परेशानी नहीं होनी चाहिए और सार्वजनिक सड़क को बंद करना उचित नहीं है." जिसके बाद एबीपी न्यूज़ की टीम ने जब शाहीन बाग के लोगों से बातचीत की तो उनका कहना था, "उन्हें सड़क पर बैठना अच्छा नहीं लगता, लेकिन सीएए और एनआरसी के विरोध में वो सड़क खाली नहीं करेंगे."
याचिका में क्या है
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में नोएडा जाने वाली एक प्रमुख सड़क को रोक दिए जाने का मसला उठाया गया है. याचिका में कहा गया है कि सड़क को बंद करने से रोजाना लाखों लोगों को परेशानी हो रही है. याचिका में यह मांग भी की गई है कि कोर्ट सरकार को प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे लोगों की निगरानी करने का आदेश दे. यह देखा जाए कि उनका संबंध किसी राष्ट्र विरोधी संगठन से तो नहीं है. उनका मकसद लोगों को देश विरोधी कामों के लिए उकसाना तो नहीं है.
हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला
सीएए और एनआरसी के विरोध में शाहीन बाग में करीब दो महीने से चल रहे प्रदर्शन के बीच हाईकोर्ट के ऑर्डर के बाद दिल्ली पुलिस की अमन कमेटी के लोगों से कई राउंड बातचीत हुई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. अब इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. यह प्रदर्शन कानून व्यवस्था के लिए भी एक चुनौती बना हुआ है.
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