राजस्थान में नागौर ज़िले के करणू गाँव में दो दलित युवकों को महज़ संदेह के आधार पर बड़ी बेरहमी से पीटा गया, उनके गुप्तांगों में पेट्रोल डाला गया, उन्हें यातनाएं दी गईं और इस पूरी घटना का वीडियो भी बनाया गया जिसमें कुछ अभियुक्तों को मुस्कुराते हुए देखा जा सकता है.
चार दिन पुरानी इस घटना का वीडियो जब सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो सनसनी फैल गई, पुलिस हरकत में आई और गुरुवार को इस घटना के विरोध में दलित समाज के लोगों ने नागौर में बड़ा प्रदर्शन किया.
पुलिस के अनुसार इस मामले में अब तक सात लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है और पीड़ित विसाराम और उनके चचेरे भाई पन्ना राम की मेडिकल जाँच करवा ली गई है.
दोनों पीड़ित युवक नायक बिरादरी से हैं. नायक समाज के प्रदेश उपाध्यक्ष राकेश नायक ने मीडिया से कहा है कि 'ऐसा सुलूक तो जानवरों के साथ भी नहीं किया जाता. हमारे लोग धरने पर बैठे हैं. हमे सर्व समाज का समर्थन मिला है. हम तब तक ये लड़ाई जारी रखेंगे जब तक पीड़ितों को इंसाफ़ ना मिल जाये.'
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पीड़ित विसाराम ने पुलिस को तहरीर दी है कि 'वे 16 फ़रवरी को अपने चचेरे भाई के साथ सर्विस सेंटर पर मोटर साइकिल की सर्विस के लिए गए थे. वहाँ थोड़ी देर बाद भींव सिंह और उनके साथियों ने आकर हमें पीटना शुरू कर दिया. उन लोगों ने हम पर पैसे चोरी करने का आरोप लगाया और हमारे साथ मारपीट की.'
विसाराम ने रिपोर्ट में लिखाया है कि 'उन लोगों ने उनके गुप्तांगों में पेट्रोल डाला, पेचकस से गुप्तांगो को चोट भी पहुँचाई.'
उनके चचेरे भाई पन्ना राम ने पत्रकारों से कहा, "कोई 100-200 रुपये की चोरी की बात हो रही थी. और उसी बात पर उन्होंने क़रीब एक घंटे तक हमें मारा-पीटा. वे हमें तब तक मारते रहे, जब तक हम बेहोश नहीं हो गए."
बीबीसी से बातचीत में विसाराम ने माना कि नशे की हालत में उन्होंने सौ रुपये उठा लिये थे.
दोनों पीड़ित पास के ही सोनगर भोजावास के रहने वाले हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि पीटने के बाद अभियुक्तों ने ही पीड़ितों के परिवार वालों को फ़ोन कर, उन्हें वहाँ से ले जाने को कहा.
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पुलिस के पास नहीं गए पीड़ित

करणू गाँव नागौर ज़िले में पाँचौड़ी थाने के अंतर्गत आता है.
पाँचौड़ी के थानाधिकारी राजपाल सिंह ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि 'इस मामले में नामज़द सातों लोग गिरफ़्तार किये जा चुके हैं. रिमांड के दौरान उनसे पूछताछ की जाएगी. साथ ही पीड़ितों की पूरी सुरक्षा दी गई है. घटना के बाद दोनों बहुत सहमे हुए हैं.'
थानाधिकारी ने बताया कि वे पुलिस के पास नहीं आये थे. लेकिन जब वीडियो शेयर होने लगा तो पुलिस सक्रिय हुई और मामला दर्ज किया गया.
पुलिस अधिकारी ने बताया कि दूसरे पक्ष ने भी चोरी की रिपोर्ट दर्ज करवाई है.
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कुछ दलित संगठन पाँचौड़ी के थानाधिकारी के तबादले की माँग कर रहे है.
दलितों के अधिकारों के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्त्ता भंवर मेघवंशी ने बीबीसी से कहा, "दलितों पर अत्याचार के मामले नागौर ज़िले में पहले भी सुर्खियों में रहे हैं. इसके पहले साल 2015 में एक विवाद को लेकर डांगावास गाँव में बड़ा हुजूम इक्क्ठा हुआ था और भीड़ ने पाँच दलितों की हत्या कर दी थी. इस मामले में पुलिस ने 40 लोगों को गिरफ़्तार किया था."
मेघवंशी ने कहा, "दलित और नागरिक अधिकार संगठनों ने डांगावास की लड़ाई भी अपने दम पर लड़ी थी."
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पीड़ितों को न्याय दिलाने की माँग

इस घटना को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने ट्वीट कर राज्य सरकार से कड़ी कार्रवाई करने को कहा है.
गाँधी ने अपने ट्वीट में लिखा है, ''दलित युवकों के साथ क्रूरतापूर्वक अत्याचार का वीडियो दिल दहलाने वाला है. मैं राज्य सरकार से इस घिनौने अपराध में शामिल अपराधियों को न्याय के कठघरे में पेश करने का आग्रह करता हूँ.''
इसके जवाब में प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट किया, ''इस मामले में तुरंत कार्रवाई की गई है. सात लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है. दोषियों को क़ानून के अनुसार सज़ा दी जाएगी.''
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गहलोत ने कहा है कि वे यह सुनिश्चित करेंगे कि पीड़ितों को न्याय मिले.
नागौर के सांसद हनुमान बेनीवाल ने भी इस घटना पर रोष व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि यह घटना इंसानियत को शर्मसार करने वाली है.
इस बीच राष्ट्रीय लोकतान्त्रिक पार्टी के तीन विधायकों ने गुरुवार को विधानसभा में तख्तियाँ लहराईं और घटना पर उस समय नाराज़गी व्यक्त की, जब सदन में राज्य का बजट प्रस्तुत किया जा रहा था. इन विधायकों ने भी इस घटना पर कड़ी कार्रवाई की माँग की है.
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