नई दिल्ली। देशद्रोह के मामले में गिरफ्तार जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) स्टूडेंट शरजील इमाम को लेकर एक और बड़ा खुलासा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक दिल्ली पुलिस को शरजील इमाम के बैंक खाते में विदेशी फंडिंग के सबूत मिले हैं। हालांकि अभी तक की जांच में यह बात स्पष्ट नहीं हो सकी है कि यह फंडिंग कौन कर रहा था। पुलिस हर पहलू से केस की तफ्तीश में जुटी है।
शरजील के पास से बरामद लैपटाप और मोबाइल फोन में क्राइम ब्रांच को कई आपत्तिजनक चीजें मिली हैं। उसके लैपटॉप से सीएए और एनआरसी के विरोध में उर्दू और अंग्रेजी में विवादित पोस्टर मिला है। इसे छात्रों के सभी ग्रुपों में डाले जाने के अलावा मस्जिदों में भी बांटा गया था। शरजील के मोबाइल फोन से वाट्सएप ग्रुप की मदद से जामिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिंटी के पंद्रह लोगों की पहचान की गई है।
इस केस में बुधवार को जामिया के तीन स्टूडेंट से पूछताछ की गई। इन्हें नोटिस देकर जांच में शामिल होने के लिए कहा गया था। इसके बाद स्टूडेंट सुबह चाणक्यपुरी स्थित क्राइम ब्रांच ऑफिस में पहुंचे। उनसे करीब पांच घंटे तक बारी-बारी से सवाल-जवाब किए गए। इन स्टूडेंट ने पुलिस को जानकारी दी है कि शरजील इमाम के कहने पर ही उन्होंने जामिया और एनएफसी एरिया में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर पर्चे बांटे थे।
जिन स्टूडेंट से पूछताछ हुई उनके नाम शाहनवाज, सनाउल्लाह और सिद्धार्थ बताए गए हैं। बाकी आठ लोगों से गुरुवार को पूछताछ हो सकती है। पूछताछ में इन छात्रों ने खुलासा किया कि शरजील ने भड़काऊ और कट्‌टरपंथी भाषा वाले तीन तरह के पांच हजार पोस्टर छपवाए थे। ये पोस्टर मुस्लिम बाहुल एरिया में मस्जिद के आसपास तक पहुंचाए गए थे। क्राइम ब्रांच शरजील की आवाज के नमूने भी जल्द एफएसएल जांच के लिए भेजनी की तैयारी कर रही है। जांच में शरजील के पीएफआई के कई लोगों से नजदीकी संबध सामने आए हैं। शरजील लगातार उनके संपर्क में भी था। पुलिस उसके बैंक अकाउंट की जांच कर यह पता लगाने में जुटी है कि उसे विदेशों किस तरह फंडिंग की गई।
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