उत्तर प्रदेश के सोनभद्र ज़िले में हज़ारों टन सोने की संभावना को लेकर अब विरोधाभासी जानकारियां सामने आ रही हैं.
भारत सरकार के अंतर्गत आने वाली संस्था जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया (जीएसआई) ने कहा है कि उसने सोनभद्र में 3,350 टन सोने का कोई अनुमान नहीं लगाया है और न ही वो मीडिया में चल रही ख़बरों की पुष्टि करता है.
जियोलॉजिक सर्वे ऑफ़ इंडिया ने शनिवार को एक बयान जारी करके कहा कि उसने 'सोनभद्र में सोने की खोज के लिए कई बार खनन किया लेकिन इसके नतीजे उत्साहवर्धक नहीं रहे.'
इससे पहले उत्तर प्रदेश के खनिज विभाग ने कहा था कि राज्य में हज़ारों टन सोना होने की संभावना है और इस मद्देनज़र राज्य सरकार ने ई-नीलामी की प्रक्रिया भी शुरू कर दी थी.
मगर जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया की ओर से जारी बयान ने यूपी के खनिज विभाग के दावे पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

क्या कहना है जीएसआई का

जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि 'जीएसआई ने 1998-99 और 1999-2000 में सोनभद्र में खनन किया था और इससे सम्बन्धित रिपोर्ट उत्तर प्रदेश के डायरेक्टर जनरल ऑफ़ माइनिंग को सौंप दी गई थी.'
जीएसआई ने कहा है कि उसके मुताबिक़ 'सोनभद्र में जो संसाधन हैं, उससे 160 किलोग्राम के लगभग सोना निकाला जा सकता है न कि 3350 टन, जैसा कि मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है.'
मगर उत्तर प्रदेश में खनन विभाग के प्रमुख रोशन जैकब ने कहा था, "सोन पहाड़ी में हमें 2,940 टन सोना मिला है और हर्दी पहाड़ी में 646 किलोग्राम के लगभग सोने का पता चला है."
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़, जैकब इस इलाक़े की 10 साल से ज़्यादा वक़्त तक खुदाई करने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे थे.
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