नई दिल्ली : पुनीत माथुर। आइए आज आपका परिचय कराता हूँ अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त शायरा डा. अनीता सोनी से।

डा. अनीता सोनी इंदौर की रहने वाली हैं और वहीं से उन्होने ग़ज़ल में पीएचडी की है। स्वभाव से बहुत शांत, सरल व मृदुभाषी अनीता जी के तीन ग़ज़ल संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं।

प्रस्तुत है अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी रचनाओं से श्रोताओं का दिल जीत लेने वाली इस मशहूर शायरा की ताज़ा ग़ज़ल -

काम ये रात के गोशे में किया जाता है,
रूह का ज़ख़्म अंधेरे में सिया जाता है।

इश्क़ में खाल तो क्या सर भी दिया जाता है,
ये तमाशा भी सरे आम किया जाताU है।

सर कहीं जिस्म कहीं रूह कहीं हाेश कहीं,
कूचा ऐ इश्क़ में ऐसे ही जिया जाता है।

ज़िंदा करवाते हैं मुर्दे को यहां ठोकर से,
काम दीवानों से ये कैसा लिया जाता है।

प्यास के मारे हुए को वो अनीता सोनी,
ज़हर देते हुए कहते हैं,पिया जाता है।
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