नई दिल्ली : पुनीत माथुर। न्यूज़ लाइव टुडे में आज के साहित्य सरोवर में पेश है अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त शायरा डा. अनीता सोनी (इंदौर) की ग़ज़ल 'तेरी दहलीज़ का पत्थर' -

तेरी दहलीज़ का पत्थर 

मौजे तूफ़ां का ये मंज़र क्या है,
अश्क़ के बाद समन्दर क्या है.

मुझको झुकने नहीं देता है कहीं,
कोई बतलाए मुझको सर क्या है.

ठोकरें खा के लोग हंसते हैं,
तेरी दहलीज़ का पत्थर क्या है.

दरो दीवार की निगाहों में,
हम मुसाफ़िर हैं तो फिर घर क्या है.

वो भी सहमे हुए से बैठे हैं,
जो नहीं जानते थे डर क्या है.

बंद मुट्ठी को कर के इक बच्चा,
सोनी पूछे है कि अंदर क्या है.
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