ग़ाज़ियाबाद : पुनीत माथुर। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि यानि भैया दूज पर कायस्थ समाज द्वारा भगवान चित्रगुप्त का पूजन किया जाता है। मान्यता है कि चित्रगुप्त महाराज देवताओं के लेखपाल यानि मनुष्यों के पाप-पुण्य का लेखा-जोखा करने वाले हैं।

इस दिन नई कलम और दवात को चित्रगुप्त महाराज का प्रतिरूप मानकर पूजा की जाती है। व्यापारी वर्ग के लिए यह नववर्ष का प्रारंभ माना जाता है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्मा जी ने चित्रगुप्त महाराज को उत्पन्न किया था। ब्रह्मा जी की काया से उनका उद्भव होने के कारण उनको कायस्थ भी कहते हैं।


मंगलवार को इंदिरापुरम की  लोटस पौंड सोसायटी में नवगठित 'ग्लोबल कायस्थ महासभा' के तत्वावधान में श्री चित्रगुप्त भगवान की भव्य पूजा का आयोजन किया गया। 


पं. माधवानंद शास्त्री द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हवन करवाया गया। तत्पश्चात आरती व भोग लगाया गया। साथ ही कायस्थ समाज के वहाँ उपस्थित सभी कायस्थ परिवारों ने परंपरानुसार कलम-दवात की पूजा की।


क्यूँकि आज का कार्यक्रम 'ग्लोबल कायस्थ महासभा' का पहला प्रयास था अतः उपस्थित सभी कायस्थ बंधुओं ने अपना - अपना परिचय दिया। 

महासभा से जुड़े परिवारों के वृद्धजनों को पौधे देकर सम्मानित किया जाना सभी को भावविभोर कर गया। और फिर मधुर गीत संगीत के कार्यकम में नई प्रतिभाएं सामने आयीं। 

स्वादिष्ट भोजन के पश्चात महासभा के संस्थापक सदस्य एस.के. श्रीवास्तव द्वारा सभी आगंतुकों का अभिवादन किया गया।  

कार्यकम को सफल बनाने में एस. के. माथुर, सुभाष वर्मा, विनोद सिन्हा, मनीष सिन्हा, डॉ रतन श्रीवास्तव, एस. के. निगम, राजीव सिन्हा व बी.के. श्रीवास्तव का विशेष योगदान रहा ।
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