बेंगलुरु: कर्नाटक में चल रहे सियासी ड्रामे में एक नया मोड़ आता हुआ दिख रहा है। सूत्रों की मानें तो भाजपा ने सत्ताधारी जेडीएस को कांग्रेस गठबंधन से बाहर आकर पाला बदलने को कहा है और मुख्यमंत्री पद देने की पेशकश की है। खबरों की मानें तो जेडीएस और भाजपा के नेताओं की इसे लेकर बैठक हो चुकी है। जेडीएस को मुख्यमंत्री पद देने की पेशकश की गई है।  कहा जा रहा है कि इस बैठक में भाजपा नेता ईश्वरप्पा, जेडीएस नेता तारा महेश और भाजपा नेता मुरलीधर राव भी शामिल थे। कुमारकृपा गेस्ट हाउस में चली यह बैठक 40 मिनट तक चली।
40 मिनट तक चली बैठक
तारा महेश ने इस बारे में टाइम्स नाउ को सफाई देते हुए कहा कि अपने क्षेत्र के कुछ कार्य की वजह से वह यहां आए हुए थे और इसलिए उन्होंने भाजपा नेताओं से मुलाकात की थी। लेकिन टाइम्स नाउ के सूत्रों के मुताबिक, 40 मिनट तक चली इस बैठके में बीजेपी ने कुमारस्वामी को कांग्रेस गठबंधन से बाहर आने को कहा है और मुख्यमंत्री पद देने की भी पेशकश की है। हालांकि बीजेपी नेता मुरलीधर राव और जेडीएस नेताओं ने इस तरह की खबर से इनकार किया है और कहा है कि यह एक शिष्टाचार भेंट थी उसके अलाव कुछ नहीं। लेकिन इस बैठक के बाद कई तरह के कयास लगने शुरू हो गए हैं।
बागी विधायकों पर तुरंत फैसला करने से स्पीकर का इंकार
इससे पहले आज बागी विधायकों ने मुंबई से बेंगलुरु पहुंचकर कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर रमेश कुमार से मुलाकात की। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने विधायकों से मुलाकात करने के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि वह बागी विधायकों के खिलाफ तुरंत फैसला नहीं कर सकते हैं। स्पीकर ने कहा कि इस्तीफा ‘सही प्रारूप’ में हैं लेकिन उन्हें इसकी पड़ताल करनी होगी कि क्या ये ‘स्वैच्छिक और वास्तविक’ हैं। 

सियासी संकट की वजह
दरअसल कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार से कुल 16 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है। इन 16 विधायकों में से 13 कांग्रेस के तथा 3 जेडीएस के विधायक हैं। इतना ही नहीं सरकार को समर्थन दे रहे दो निर्दलीय विधायकों ने भी अपना समर्थन वापस ले लिया है। इस घटनाक्रम के बाद गठबंधन वाली सरकार गिरने के कगार पर पहुंच गई हैं। इस्तीफा देने के बाद बागी विधायक मुंबई चले गए थे जहां वो एक होटल में ठहरे थे। वहीं यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया जिसके बाद कोर्ट ने 10 बागी विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष से शाम छह बजे मुलाकात करने और इस्तीफा देने के अपने निर्णय से अवगत कराने की अनुमति दी।
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