नई दिल्ली। 5 जुलाई को पेश होने वाले आम बजट में एमएसएमई एवं स्टार्टअप्स के लिए विशेष कोष की ऐलान संभव है। एमएसएमई एवं स्टार्टअप्स के लिए सरकार 10,000 करोड़ रुपए का अलग से कोष बनाने की घोषणा कर सकती है। वहीं एमएसएमई के लिए बजट में अलग नीति का भी ऐलान किया जा सकता है। गुरुवार (4 जुलाई) को संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण-2019 में इस प्रकार के संकेत दिए गए हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 5 जुलाई को आम बजट पेश करेंगी। रु आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यन ने गुरुवार को कहा कि नए स्टार्टअप्स को आगे बढ़ाने की जरूरत है। वहीं, रोजगार सृजन में मदद कर सकते हैं। उन्होंने पूंजी की लागत को भी कम करने के संकेत दिए। पूंजी की लागत को कम करके ही निवेश को बढ़ाया जा सकता है। इस लिहाज से आने वाले समय में स्टार्टअप्स और छोटे उद्यमियों को और कम ब्याज दरों पर कर्ज की उपलब्धता कराई जा सकती है। स्टार्टअप्स के लिए अलग से कोष बनाने की व्यवस्था की सिफारिश आरबीआई पहले ही वित्त मंत्रालय को कर चुका है।

एमएसएमई के विकास पर ध्यान देने वाली होनी चाकहिए नीतियां

- आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि जो एमएसएमई उद्यम विकास करते हैं वे केवल लाभ ही अर्जित नहीं करते बल्कि वे रोजगार के अवसरों के सृजन में तथा अर्थव्यवस्था के लिए उत्पादन में योगदान भी देते हैं। इसलिए हमारी नीतियां ऐसी होनी चाहिए जो एमएसएमई के विकास पर विशेष ध्यान दें।

100 से कम कर्मचारियों वाली कंपनियों का रोजगार के लिए योगदान केवल 14 प्रतिशत

- भारत में रोजगार सृजन को उन नीतियों के कारण समस्याओं का सामना करना पड़ता है जो लघु उद्यमों को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए बनाई गई हैं। ये लघु उद्यम कभी विकसित नहीं होते। इसके स्थान पर नए उद्यमों में विकसित होने और तेजी से बड़ी कंपनी में तब्दील होने की क्षमता होती है। ऐसी कंपनियां जहां 100 से कम कर्मचारी कार्यरत हैं लघु कंपनियों की श्रेणी में आती हैं। 10 वर्षों से अधिक पुरानी होने के बावजूद ये कंपनियां संख्या के संदर्भ में विनिर्माण क्षेत्र की कुल संगठित कंपनियों की आधी है लेकिन इन कंपनियों का रोजगार के लिए योगदान केवल 14 प्रतिशत है और उत्पादन के लिए योगदान मात्र 8 प्रतिशत है। इनकी तुलना में बड़ी कंपनियों (100 कर्मचारियों से अधिक) की हिस्सेदारी रोजगार के लिए तीन चौथाई है और उत्पादन में हिस्सेदारी लगभग 90 प्रतिशत है जबकि इन कंपनियों की संख्या मात्र 15 प्रतिशत है।

आगे की राह एमएसएमई को प्रोत्साहन देना

- मध्यम, लघु तथा सूक्ष्म उद्यम अपने प्रर्वतकों के लिए न केवल मुनाफा देते हैं, बल्कि अर्थव्यवस्था में रोजगार सृजन तथा उत्पादकता में भी योगदान करते हैं। इसलिए हमारी नीतियों का फोकस बाधारहित रूप से आगे बढ़ने में एमएसएमई को सक्षम बनाने पर होना चाहिए।


प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (पीएसएल) को नया रूप देना

- आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि मौजूदा नीति के अनुसार सूक्ष्म, लघु और मध्यम (एमएसएमई) क्षेत्र को ऋण देने के लिए बैंकों के लिए कुछ लक्ष्य निर्दिष्ट किये गये हैं वे प्रोत्साहनों को प्रतिकूल बना देते हैं और ये फर्में छोटी ही बनी रहती हैं। पीएसएल दिशा-निर्देशों के अनुसार समायोजित शुद्ध बैंक क्रेडिट (एएनबीसी) की 7.5 प्रतिशत राशि या बैलेंस शीट से अलग क्रेडिट समतुल्य राशि में जो अधिक हो वह सूक्ष्म उद्यमों के लिए लागू है। एमएसएमई के पीएसएल लक्ष्यों के तहत अधिक रोजगार जुटाने वाले क्षेत्रों में स्टार्टअप्स और ‘इन्फेंट्स’ को प्राथमिकता देने आवश्यक है। इससे इन क्षेत्रों में सीधा क्रेडिट प्रवाह बढ़ेगा जो अर्थव्यवस्था में अधिक रोजगार जुटाएगा।
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