हरदोई। जिला मजिस्ट्रेट पुलकित खरे ने स्थानीय लिपिक प्रथम/ तत्कालीन शस्त्र लिपिक द्वितीय मधु शुक्ला को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए कहा है कि लाइसेंस प्राधिकारी लाइसेंस स्वीकृत किये जाने से शस्त्र क्रय करने के बीच की अवधि (शस्त्र अभिलेखों व लाइसेंसों पर शस्त्र की प्रविष्ट होने के बीच की अवधि) में लाइसेंसी के आवेदन पर शस्त्र प्रकृति बदले जाने का आदेश लाइसेंस प्राधिकारी दे सकता है, परन्तु आप द्वारा 226 प्रकरणों में शस्त्र लाइसेंस स्वीकृत किये जाने के कई वर्षो बाद अर्थात लाइसेंसों पर शस्त्र की प्रविष्टि के कई वर्षो बाद शस्त्र की प्रकृति बदले जाने (बोर परिवर्तन/कनर्वजन) किये जाने के आदेश बिना किसी कार्यालय टिप्पड़ी के मात्र प्रार्थना पत्र पर अनियमित रूप से कराये गये है, जिनमें से 08 प्रकरण ऐसे है जो शस्त्र लाइसेंस गैर जनपदों से जारी हुए है उनको जनपद के शस्त्र अभिलेखों में बगैर दर्ज कराये ही इन शस्त्र लाइसेंसों पर भी शस्त्र की प्रकृति परिवर्तन किये जाने के आदेश तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट से कराये गये है।

उन्होने कहा है कि इनमें से 45 प्रकरणों में आप द्वारा शस्त्र लाइसेंसियों से नियमानुसार निर्धारित धनराशि के स्टाम्प प्राप्त कर पत्रावलियों में संलग्न नही किये गये है जिसकी कुल धनराशि 77,500/-रूपये होती है तथा आप द्वारा किसी भी पत्रावली में संलग्न स्टाम्पों पर नियमानुसार प्रभारी अधिकारी शस्त्र के हस्ताक्षर नहीं कराये गये है और कुछ प्रकरणों को छोड़कर अधिकांश प्रकरणों में शस्त्रों की प्रकृति परिवर्तित किये गये है तथा किये जाने संबंधित आदेश को जारी करने में प्रभारी अधिकारी शस्त्र को संज्ञान में नहीं लिया गया है मात्र प्रशासनिक अधिकारी कलेक्ट्रेट के हस्ताक्षर से शस्त्रों की प्रकृति परिवर्तित किये जाने के आदेश को जारी कर दिया गया है। 

जिलाधिकारी ने कहा कि शस्त्र अुनभाग में जनपद के 12 थानों से संबंधित कार्य शस्त्र लिपिक प्रथम को आंवटित है तथा शेष 12 थानों से संबंधित कार्य शस्त्र लिपिक द्वितीय को आंवटित है, परन्तु शस्त्रों की प्रकृति परिवर्तित किये जाने के आदेश आप द्वारा जनपद के समस्त 24 थानों के कराये गये है इसके अतिरिक्त शस्त्रों की प्रकृति परिर्वतन से संबंधित पत्रावलियों पर इनके रखरखाव की अवधि मात्र 03 वर्ष डालकर आप द्वारा अभिलेखागार न्याय में दाखिल कर दी गयी थी जो 03 वर्ष बाद नष्ट हो जानी थी जबकि वर्ष 1998 के शासनादेश के अनुसार इन पत्रावलियों के रखरखाव की अवधि स्थायी होती है। अतः पत्र प्राप्ति के 07 दिवस के अन्दर अपना स्पष्टीकरण अधोहस्ताक्षरी के समक्ष प्रस्तुत करें।
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