कुलदीप सिंह सेंगर मंत्री बनने वाले थे साथ ही लोकसभा की तैयारी भी थी।कुछ तथाकथित धर्म के ठेकेदारों तथा विपक्षियों ने ब्यूह रचना की है। कुछ अहम तथ्य जो शोरगुल में अनसुने रह गए और इसे समझने की कोशिश नहीं की गई। गैंग रेप का एजेंडा बन गया।
घटना यहां से शुरू होती है, 11 जून 2017 को आरोप लगाने वाली लड़की घर से ग़ायब हो गई। पहले गांव के लोगों का कहना था कि वह अपने प्रेमी के साथ गई थी। घर वाले अपने स्तर पर उसे लाने का प्रयास करते रहे। असफल रखने पर 20 जून 2017 को मां ने रिपोर्ट दर्ज कराई कि उसकी बेटी का कुछ लोगों ने अपहरण कर लिया है। पुलिस ने उसी दिन लड़की को बरामद कर लिया 21 जून को चिकित्सकीय परीक्षण कराया और 22 जून को बयान दर्ज कराया गया। मामले में पहले दो लड़के नामजद हुए, बाद में तीसरा नाम जोड़ा गया। 1 अगस्त 2017 को आरोपपत्र दाखिल किया गया। इसमें विधायक या उसका कोई भाई आरोपी नहीं बनाया गया। मामले में शामिल शुभम सिंह नामक युवक लड़की का दोस्त बताया जाता है। उसके परिवारीजनों का कहना है कि लड़की के चाचा सुभम पर लड़की से शादी का दबाव बना रहे थे। नहीं मानने पर गैंग रेप के मामले में फंसाया गया। इसी केस में मदद मांगने शुभम सिंह का परिवार भी विधायक के पास गया था। इस बात से नाराज़ होकर लड़की का परिवार विधायक के ख़िलाफ़ हो गया। उनका मानना था कि विधायक के हस्तक्षेप करने की वजह से उसकी लड़की की शादी नहीं हो पा रही थी।इसके बाद 12 फ़रवरी 2018 को लड़की की मां ने सीजेएम कोर्ट में विधायक के ख़िलाफ़ 4 जून 2017 को रेप का आरोप लगाकर याचिका दाखिल की। इसमें विधायक अकेले आरोपी बनाए गए थे। इस मामले में दो बार सुनवाई हो चुकी है, अगली सुनवाई 12 अप्रैल को है। यहां सवाल यह उठ रहा है कि जब 22 जून 2017 को बयान हो रहा था तो लड़की ने चार जून की घटना का ज़िक्र क्यों नहीं किया। मजिस्ट्रेट के सामने 164 के बयान में चार जून की घटना के बारे में नहीं बताया गया। बहरहाल लड़की के घर वालों का कहना है कि इस शिकायत के बाद विधायक और उसके लोगों ने केस वापस लेने का दबाव बनाया और फ़र्ज़ी मुक़दमे दर्ज कराए। जिसमें दोनों तरफ़ से क्रॉस केस हुए। इसके बाद मारपीट हुई जिसमें लड़की के पिता की मौत हुई बताई जाती है। मारपीट वाले मामले में ही विधायक के भाई अतुल सिंह सेंगर की गिरफ़्तारी हुई है। लापरवाही बरतने के मामले में पुलिस वाले सस्पेंड हुए हैं। कुछ और लोग भी गिरफ़्तार हुए हैं। ये तीन अलग-अलग मामले हैं, जिसे जमीनी हकीकत से दूर रहने वालों ने मिक्स कर दिया। पहले मामले को क्षत्रिय बनाम दलित बनाने की कोशिश की गई। बाद में जब पता चला कि दोनों एक ही जाति से हैं, तो जातीय मुद्दे को पीछे कर दिया गया। दोनों एक ही क्षेत्र से हैं। अब तक की कार्रवाई में पुलिस ने 5 लोगों को अरेस्ट किया है। मीडिया ट्रायल 12 अप्रैल को होने वाली सुनवाई में निर्णय प्रभावित करने के लिए हो रही है।कुलदीप सिंह सेंगर मंत्री बनने वाले थे साथ ही लोकसभा की तैयारी भी थी।कुछ तथाकथित धर्म के ठेकेदारों तथा विपक्षियों ने ब्यूह रचना की है। कुछ अहम तथ्य जो शोरगुल में अनसुने रह गए और इसे समझने की कोशिश नहीं की गई। गैंग रेप का एजेंडा बन गया।


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