*हरदोई : जिलाध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर सपा में भीतरखाने सियासत गरमाई प्रदेश संगठन से जुड़े 02 युवा चेहरे 'सेहरा सिर सजाने' को तगड़ी पेशबन्दी में जुटे सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के क़रीबी एमएलसी राजपाल कश्यप की पैरवी संजय कश्यप के लिए !!!* 
समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने ज़िला संगठन की मेन बॉडी सहित सभी फ्रंटल संगठनों युवजन सभा, लोहिया वाहिनी, मुलायम यूथ ब्रिगेड, छात्रसभा और महिला सभा की जिला कार्यकारिणी पिछले दिनों भंग कर दी थी। यह कार्यवाही पार्टी के तत्कालीन राष्ट्रीय महासचिव नरेश अग्रवाल के भाजपा में शामिल होने के बाद की थी। दरअसल सपा की भंग कार्यकारिणी में ज़्यादातर पदाधिकारी अग्रवाल समर्थक थे। बहरहाल, जिलाध्यक्ष पद के दावेदार आज लखनऊ में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंचे हुए हैं। सपा जिला कार्यकारिणी भंग होने के बाद जिलाध्यक्ष पद के लिए दावेदारों ने गोटें बिछानी शुरू कर दी हैं। समाजवादी पार्टी के 1992 में गठन के बाद से 26 दिसम्बर 2008 में देहावसान तक खांटी समाजवादी बाबू विश्राम सिंह यादव सपा जिलाध्यक्ष रहे। बाद में पार्टी शीर्ष नेतृत्व ने स्व0 यादव के पुत्र पद्मराग सिंह यादव 'पम्मू' को जिलाध्यक्ष नियुक्त कर दिया। हालांकि, पिता के परम्परागत निर्वाचन क्षेत्र सवायजपुर से 2012 विधानसभा चुनाव में पम्मू ने पिता की सियासी विरासत पर दावा करते हुए पार्टी से टिकट मांगा। पार्टी ने टिकट तत्कालीन राष्ट्रीय महासचिव डॉ0 अशोक बाजपेई को उम्मीदवार तय कर दिया। पम्मू ने सपा से बग़ावत कर दी। जिलाध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देकर पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के नेतृत्व वाली तत्कालीन राष्ट्रीय क्रान्ति पार्टी के टिकट पर चुनाव में उतर गए और रनर रहे। अखिलेश सरकार के गठन के बाद पम्मू ने घर वापसी कर ली, लेकिन संगठन में नहीं लिए गए। 2017 में सपा ने सवायजपुर से उन्हें उम्मीदवार बनाया और इस बार भी रनर रहे। अब देखने की बात होगी कि पार्टी पम्मू को उनके पिता की सांगठनिक विरासत सौंपेगी। संजय कश्यप ने सपा में अपनी जगह अपने बूते बनाई है। जिला सचिव से प्रदेश सचिव का सफ़र उन्होंने बेहद कम वक़्त में तय किया है। जिला सचिव के बाद संजय पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के प्रदेश सचिव रहे। सपा में शीर्ष नेतृत्व में उथल-पुथल के बाद जब नरेश उत्तम पटेल प्रदेश अध्यक्ष बने, तब उन्होंने संजय को प्रमोट कर अपनी टीम में सचिव की ज़िम्मेदारी दी। संजय डीएससीएल शुगर मिल के निदेशक और सदर तहसील मछुआ समिति के सदस्य हैं। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के बेहद क़रीबी एमएलसी/पूर्व दर्जा प्राप्त/लखनऊ विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष राज्यमन्त्री राजपाल कश्यप के छात्र राजनीति के दिनों में संजय उनके अति निकट रहे। पार्टी सूत्रों की मानें तो राजपाल जिलाध्यक्ष पद के लिए संजय का नाम आगे कर रहे हैं। बताते हैं कि पार्टी ने गैर यादव पिछड़ा वर्ग पर निगाह डाली तो संजय की बात बन सकती है। एक और नाम जीतेन्द्र वर्मा 'जीतू' का भी है। सपा में संघर्षशील युवा नेता की पहचान और फ्रंटल संगठनों में काम करने का लम्बा अनुभव है। जीतू समाजवादी छात्रसभा और युवजन सभा के जिलाध्यक्ष रह चुके हैं। अब उनके पास लोहिया वाहिनी के प्रदेश महासचिव का दायित्व है। न्यूज़ चैनल्स की बहस में जीतू बतौर पैनिलिस्ट सपा का पक्ष रखते देखे जाते हैं। राजपाल कश्यप को जीतू अपना राजनैतिक गुरू मानते हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्रसंघ की राजनीति के दिनों के राजपाल के सक्रिय सहयोगी हैं। पार्टी के हलकों में कहा जा रहा है कि जिलाध्यक्ष पद के लिए यादव से इतर किसी पिछड़ी बिरादरी की ओर देखा गया तो एक सूरत कुर्मी बिरादरी से आने वाले जीतू की भी हो सकती है। सुनवाई है कि सपा प्रदेश नेतृत्व एकाध दिन में यहां नए जिलाध्यक्ष की नियुक्ति कर देगा। देखने की बात होगी कि नेतृत्व किसे ज़िले में पार्टी का चेहरा बनाएगी। फ़िलवक्त, पार्टी के गलियारों में कुछ है तो अनुमान और कयास।
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