अर्पित श्रीवास्तव की कलम से 
लखनऊ (K5 News)। बसपा सुप्रीमो मायावती ने शनिवार को गेस्ट हाउस कांड के समय राजधानी लखनऊ में एसएसपी रहे ओपी सिंह को डीजीपी बनाए जाने पर जहां भाजपा को घेरा, वहीं सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव का बचाव भी किया। पत्रकारों के एक सवाल पर उन्होंने कहा कि जिस समय की यह घटना है, अखिलेश राजनीति में नहीं थे। इसलिए उनको दोषी नहीं ठहराया जा सकता। बसपा प्रमुख ने ओपी सिंह की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिस समय गेस्ट हाऊस कांड हुआ उस समय के एसएसपी को भाजपा ने डीजीपी बनाकर अपनी मंशा जाहिर कर दी है। साथ ही आशंका भी जताई कि ऐसे अफसर की नियुक्ति करके भाजपा उनकी हत्या तो नहीं कराना चाहती है। गौरतलब है कि दो जून 1995 में हुए स्टेट गेस्ट हाउस कांड के दौरान डीजीपी ओपी सिंह लखनऊ में एसएसपी पद पर तैनात थे। इस घटना के बाद मायावती की जब सरकार बनी तो उन्होंने एसएसपी ओपी सिंह को निलंबित कर दिया था। 1983 बैच के आइपीएस अफसर ओपी सिंह योगी शासनकाल में तीसरे डीजीपी हैं। पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह के 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त होने पर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर डीजी सीआइएसएफ के पद पर तैनात रहे ओपी सिंह को डीजीपी बनाया था। हालांकि उन्हें केंद्र से रिलीव होने में लंबा वक्त लगा था। डीजीपी के नाम की घोषणा के 23 दिन बाद ओपी सिंह ने पदभार संभाला था। 
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