लखनऊ (K5 News)। कैबिनेट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश चलचित्र नियमावली, 1951 संशोधन प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इससे नये सिनेमाघरों के निर्माण में सहूलियत होगी। साथ ही संचालन और लाइसेंस प्रणाली में भी सरलीकरण होगा। इस फैसले के क्रियान्वित होने पर सक्षम प्राधिकरण के अनापत्ति के बाद डीएम को लाइसेंस देने का अधिकार होगा। यह लाइसेंस अब तीन वर्ष की बजाय पांच वर्ष के लिए होगा। कैबिनेट ने प्रदेश की करीब 67 वर्ष पुरानी चलचित्र नियमावली में बदलाव किया है। सिनेमा निर्माण के संबंध में अप्रासंगिक तथा पुराने नियमों को समाप्त कर नवीनतम तकनीक, भवन निर्माण एवं विकास उपविधियों एवं सिनेमा के लाइसेंसिंग एवं निर्माण की प्रक्रिया को सरलीकरण करने, लाइसेंस के लिए आवेदन जारी करने की प्रक्रिया ऑनलाइन करने के साथ ही समयबद्ध किया गया है। 
ऑनलाइन लाइसेंस मिलेगा
अब एक महीने में ऑनलाइन लाइसेंस मिलेगा। एक खास बदलाव यह भी हुआ है कि अभी तक आवेदक को दो स्तर पर निर्माण से संबंधित अनुमति लेनी पड़ती थी। अब सिनेमाघरों के निर्माण की प्रक्रिया को पूर्ण रूप से निर्माण प्रदान करने वाली एजेंसी (सक्षम प्राधिकरण) में ही निहित कर दी गई है। निर्माण पूर्ण होने के उपरांत सक्षम प्राधिकारी के अनापत्ति प्रमाण पत्र के आधार पर डीएम को लाइसेंस प्रदान करने के लिए अधिकृत किया गया है। अब सिनेमाघर, मल्टीप्लेक्स को एक बार में अधिकतम तीन वर्ष के स्थान पर पांच वर्ष के लिए लाइसेंस स्वीकृत करने का अधिकार दिया गया है। आधुनिक तकनीक के विस्तार को देखते हुए सिनेमाघर, मल्टीप्लेक्स के निर्माण के लिए प्रस्तावित स्थल से निर्धारित परिधि के अंदर बोर्ड आफ रेवेन्यू, राज्य लोक सेवा आयोग, शिक्षण संस्थान, चिकित्सालय न होने की बाध्यता को भी समाप्त कर दिया गया है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य के दृष्टिगत लाइसेंस शुल्क की धनराशि में वृद्धि की गई है।
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