पनकी स्थित रोटोमैक प्राईवेट लिमिटेड में कार्यरत कर्मचारियों का वेतन के साथ ही पीएफ का पैसा नहीं दिया, आयात और निर्यात के नाम पर लोन लिया
कानपुरशहर के नामी उद्योगपति विक्रम कोठारी और उनके बेटे ने जालसाजी के दम पर सरकारी बैंकों से करोड़ों रूपए की रकम हड़प ली। कोठारी ने विदेश व्यापार यानी आयात और निर्यात के नाम पर लोन लिया। हकीकत ये है कि जिस कंपनी के नाम पर आयात के लिए लोन लिया वह विदेश से कुछ आयात करती ही नहीं थी। वहीं पनकी स्थित रोटोमैक प्राईवेट लिमिटेड में कार्यरत कर्मचारियों का वेतन के साथ ही पीएफ का पैसा नहीं दिया। इसी के कारण यहां कईबार कर्मचारियों और मजदूरों ने हंगामा कर धरना प्रदर्शन किया। इसे रोकने के लिए कोठारी ने अपने गुर्गो का इस्तमाल किया। एक कर्मी जब नहीं माना तो उसे अपने सामने बंधवाकर पिटवाया। यहां के कर्मचारियों की मानें तो पीड़ित ने कोठारी को शाप दिया था कि उसे उसकी करनी की सजा जल्द मिलेगी। कोठारी ने कर्मचारी को कंपनी से निकाल दिया और वही उसके लिए सिरदर्द बन गया। कर्मचारी ने कोठारी की पोल खोलनी शुरू की। घर में चोरी की घटना को कोठारी दबाना चाहते थे, पर वह बाहर आई। बैंकों के कर्जे के कई रहस्य मीडिया तक पहुंचाए और इसी के बाद सीबीआई एक्शन में आई। 
वेतन और पीएफ का पैसा डकारा 
बैंकों में डिफाल्टर होने वाले शहर के उद्योगपति विक्रम कोठारी अपने कर्मचारियों के भी डिफाल्टर हैं। पनकी स्थित रोटोमैक प्राईवेट लिमिटेड में कार्य करने वाले तीन सौ से ज्यादा कर्मचारियों का वेतन पिछले पांच माह से वेतन नहीं दिया गया। साथ ही 2016 से लेकर 2018 तक का पीएफ का पैसा भी कर्मचारियों के खातों में नहीं जमा कराया गया। पीएफ विभाग ने इस संबंध में इन्हें दिसंबर 2017 में नोटिस भी दिया था। बावजूद कोठारी के कानों में जूं नहीं रेंगी। जब कर्मचारियों ने पीएफ के साथ वेतन की मांग की तो उन्हें कंपनी से बाहर करने की धमकी दी गई। नौकरी जाने के डर के चलते कर्मचारियों ने मुंह बंद कर लिया। लेकिन डेढ़ साल पहले एक कर्मी वेतन को लेकर कोठारी से भिड़ गया। बर्रा निवासी एक कर्मचारी ने बताया कि विक्रम कोठारी अपने बेटे के साथ कंपनी आए। कर्मचारी ने अपना वेतन उनसे मांग, जिसके चलते वह गुस्से से लाल हो गए और उसे गार्डों के जरिए पिटावाया और नौकरी से निकाल दिया। पीड़ित ने कोठार को शाप दिया था कि एक दिन तुम्हें करनी की सजा जरूर मिलेगी। रोटोमैक के कर्मचारियों की मानें तो उसी पीड़ित कर्मी ने इनकी पोल खोली। अंदर की बात मीडिया तक पहुंचाई, जिसके बाद सीबीआई सहित अन्य एजेंसियां हरकत में आई।
कुछ इस तरह की फेराफेरी
सीबीआई के हत्थे लगे कोठारी ने पूछताछ के दौरान कई अहम राज उगले। जिसमें विक्रम कोठारी ने विदेश व्यापार यानी आयात और निर्यात के नाम पर लोन लिया। हकीकत ये है कि जिस कंपनी के नाम पर आयात के लिए लोन लिया वह विदेश से कुछ आयात करती ही नहीं थी। बाद में यह पैसा कोठारी की कंपनी यानी रोटोमैक ग्लोबल में वापस जाता था। इसी तरह निर्यात का ऑर्डर दिखाकर भी बैंकों से लोन लिया जाता था, लेकिन निर्यात करने के बजाय कंपनी पैसे को दूसरी कंपनियों में ट्रांसफर कर देती थी। यह सिलसिला वित्तीय वर्ष 2007-08 से जारी था। इसी तरह कोठारी का मर्चेंट बैंकिंग के जरिये भी लोन की रकम हथियाने और उसे डुबाने का खेल किया। बताते हैं कि इसी दौर में डॉलर में गिरावट की वजह से इनकी हालत पतली हुई। उस समय इन्हें करीब पांच सौ करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था, लेकिन स्थिति ऐसी नहीं आई थी कि बैंकों का कर्ज चुकाया जा सके। 
कई बैंकों का करीब दो हजार करोड़ और बकाया
विक्रम कोठारी रोटोमैक के अलावा करीब एक दर्जन अन्य कंपनियों के भी निदेशक हैं। इनमें से पांच कंपनियों पर कई बैंकों का करीब दो हजार करोड़ रुपये और बकाया है। इन कंपनियों के लोन खाते भी एनपीए हो गए हैं। कुछ के खाते एनपीए होने वाले हैं। दोनों कर्जो की रकम को जोड़ लिया जाए तो यह आंकड़ा बढ़कर 5700 करोड़ पहुंच जाएगा। बावजूद बैंकों की दरियादिली इन पर जारी रही। कोठारी ने बैंक के अफसरों से सांठ-गांठ की और लोन जारी करने के बदले मुंहमांगा कमीशन भी दिया। सीबीआई की टीमें अब बैंक अफसरों पर नजर अड़ा दी हैं और कई को हिरासत में लेकर पूछताछ भी कर रही है। इसके अलवा आरबीआई के आदेश के बाद एक जिले में तैनात बैंक अफसरों के तबादले भी शुरू हो गए हैं। मंगलवार और बुधवार को अकेले कानपुर में 50 से ज्यादा बैंक अधिकारियों का ट्रांसफर गैर जनपद कर दिया गया। 
बैंकों की दरियादिली जारी रही 
कोठारी को लोन देने वाले बैंक समूह (कंसोर्टियम) के मुखिया बैंक ऑफ इंडिया की। इस बैंक का विक्रम कोठारी पर 1395 करोड़ रुपये का कर्ज है। इनकी चार कंपनियों के नाम से शहर की बिरहाना रोड स्थित बैंक ऑफ इंडिया ब्रांच में चार अलग-अलग खाते हैं। ये सभी खाते वर्ष 2015 में एनपीए (नॉन परफार्मिंग एसेट) हो चुके हैं। बैंक लगातार विक्रम कोठारी और फर्म के निदेशकों से पत्राचार करता रहा लेकिन कर्ज की रकम नहीं चुकाई गई। इन चार कंपनियों में से रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड पर 830 करोड़ ही कर्ज है जबकि तीन अन्य कंपनियों कोठारी फूड एडं फ्रेगरेंस, रोटोमैक एक्सपोर्ट, क्राउन अल्वा पर करीब 565 करोड़ का कर्ज है। इसी तरह यूनियन बैंक में भी कोठारी की अन्य कंपनियों पर करीब तीन सौ करोड़ का कर्ज है। इसके अलावा विक्रम कोठारी के व्यावसायिक और लोन खाते बैंक ऑफ बड़ौदा की माल रोड स्थित आईबीबी शाखा में भी हैं। अलग-अलग कंपनियों के नाम से यहां भी करीब दो सौ करोड़ का लोन है। ये सभी लोन खाते मार्च 2016 में एनपीए हो चुके हैं। इंडियन ओवरसीज बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इलाहाबाद बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कामर्स को मिलाकर करीब 800 करोड़ का और लोन है। कुछ छोटे बैंकों पर 100 से 200 करोड़ रुपया है

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