इलाहाबाद(यूपी).पिछले 5 साल में हुई यूपी लोकसेवा आयोग की तरफ से की गई भर्तियों की सीबीआई जांच शुरू हो गई है। यूपी लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) भर्ती घोटाले में सीबीआई की एंटी करप्शन ब्यूरो (शाखा-1) ने पीई (प्रारंभिक जांच) शुरू कर दी है। बधुवार को सीबीआई की 9 सदस्यीय जांच टीम आईपीएस राजीव रंजन के नेतृत्व में इलाहाबाद पहुंची है। आयोग पहुंचकर शुरु हुई जांच...
- सीबीआई जांच टीम के 6 सदस्यों ने लोक सेवा आयोग में पहुंचकर जांच शुरु कर दी है। जांच टीम कई घंटों तक आयोग के अंदर ही रही।
- सूत्रों के मुताबिक, ''आयोग के अधिकारियों और कर्मचारियों से जांच को आगे बढ़ाने के लिए कई अहम जानकारियां भी जुटाई हैं। जांच पूरी करने के लिए इलाहाबाद के सर्किट हाउस में सीबीआई अपना कैंप कार्यालय खोल सकती है। इसके लिए डीएम इलाहाबाद से मुलाकात कर जगह की भी मांग करेगी।''

बड़े पैमाने पर भर्तियों में आयोग से हुई गड़बड़ियां
- वहीं, प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति अध्यक्ष अवनीश पांडेय का कहना है, ''लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष अनिल यादव के कार्यकाल में बड़े पैमाने पर आयोग की भर्तियों में गड़बड़ी हुई हैं। जिसको लेकर प्रतियोगी छात्रों ने लम्बे समय तक जांच की मांग को लेकर संघर्ष भी किया था।''
- ''प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद सीएम योगी ने 2 अप्रैल 2013 से लेकर मार्च 2017 के बीच हुई भर्तियों की सीबीआई जांच की संस्तुति की थी।'' 
- ''केंद्र के नोटिफिकेशन के बाद सीबीआई ने भर्तियों की जांच शुरु की है। इस मामले में सीबीआई ने प्रारम्भिक स्तर पर जांच पड़ताल के बाद 23 जनवरी 2018 को लखनऊ में मुकदमा भी दर्ज कराया गया था।''
कोर्ट में दायर की गई थी याचिका
- पिछले 5 साल में हुई यूपी लोकसेवा आयोग की तरफ से भर्तियों की सीबीआई जांच के मामले में आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों को राहत देते हुए हाईकोर्ट ने पूछताछ पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा था- सीबीआई इस मामले की जांच कर सकती है, लेकिन अगले आदेश तक आयोग के अफसरों को समन जारी कर पूछताछ नहीं कर सकती है।
- 9 जनवरी को हुई सुनवाई में सहायक सॉलीसिटर जनरल ज्ञान प्रकाश ने कहा- वह आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों से इस बीच कोई पूछताछ नहीं करेंगे। यह आदेश चीफ जस्टिस डीबी भोसले और जस्टिस सुनीत कमार ने यूपी लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की तरफ से दाखिल याचिका पर दिया गया था।
सपा सरकार में हुई थी भर्तियां
- सपा शासनकाल में 31 मार्च 2012 से लेकर 31 मार्च 2017 के बीच हुई लगभग 20 हजार भर्तियां सीबीआई जांच के दायरे में हैं। 
- इसमें पीसीएस से लेकर डॉक्टर और इंजीनियर तक के पद शामिल हैं।
- आरोप है कि नियमों को ताक पर रखकर ये भर्तियां की गई है। परीक्षा केंद्रों के निर्धारण में मनमानी की गई और डॉक्टर, इंजीनियरों की भर्ती में एक वर्ग को भर्ती करने में भी खेल किया गया।
कैबिनेट ने पास किया था प्रस्ताव
- इससे संबंधित लगभग 700 मामले विभिन्न अदालतों में लंबित पड़े हैं। इन सबको देखते हुए सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी।
- सीएम योगी आदित्यनाथ ने यूपीपीएससी की जांच के लिए कैबिनेट से प्रस्ताव पास कराया था, जिसके बाद अगस्त में गृह विभाग ने इसे केंद्र सरकार को भेज दिया था।
- इससे पूर्व राज्य सरकार पर भर्तियों में धांधली का आरोप लगाते हुए इलाहाबाद में प्रतियोगी छात्रों की ओर से कई बार प्रदर्शन किए गए थे।
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